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Cell Ka Samanya Parichay
कोशिका का सामान्य परिचय
कोशिका जीवधारियों की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है। इसमें प्रायः स्वतः जनन की क्षमता होती है।कोशिका सिद्धांत(Cell Theory) शलाइडेन तथा श्वान (Schleiden & Schwann) नामक वैज्ञानिकों ने प्रतिपादित किया था।
“जीवधारियों में दो प्रकार की कोशिकाएं यथा (1) प्रोकैरियोटिक कोशिकाएं तथा (2) यूकैरियोटिक कोशिकाएं पाई जाती है। Cell Ka Samanya Parichay
प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में केंद्रक, केंद्रक कला, केंद्रिका, कलायुक्त कोशिकांग इत्यादि नहीं पाए जाते हैं। इनमें आनुवंशिक पदार्थ पाया जाता है, परंतु इससे हिस्टोन प्रोटीन संयुक्त नहीं होती है। इसमें राइबोसोम उपस्थित होता है। इस प्रकार की कोशिकाएं जीवाणुओं एवं नील हरित शैवालों में पाई जाती हैं।
यूकैरियोटिक कोशिकाओं में पूर्ण विकसित केंद्रक, केंद्रिका तथा कलायुक्त कोशिकांग इत्यादि उपस्थित होते हैं। इन कोशिकाओं में हिस्टोन प्रोटीन पाया जाता है। इस प्रकार की कोशिकाएं पेड़-पौधों, जंतुओं, कुछ शैवालों इत्यादि में पाई जाती हैं। पादप कोशिका जंतु कोशिका से भिन्न होती है क्योंकि इसकी कोशिका में बाह्य आवरण कोशिका भित्ति (Cell Wall) कहलाता है, जो कि हरे पौधों में मुख्यतया सेलुलोज से निर्मित होता है।
जंतु कोशिका में कोशिका भित्ति का अभाव होता है। इसके अलावा जंतु कोशिका में हरितलवक अनुपस्थित होता है, जो कि पादप कोशिकाओं में पाया जाता है।
“प्लाज्मा झिल्ली या कोशिका झिल्ली एक अर्द्ध पारगम्य झिल्ली है, जो प्रत्येक सजीव कोशिका के जीवद्रव्य को घेरे रहती है। Cell Ka Samanya Parichay
कोशिका झिल्ली का निर्माण तीन परतों से मिलकर होता है, इसमें से बाहरी एवं भीतरी परते प्रोटीन द्वारा तथा मध्य परत लिपिड द्वारा निर्मित होती है।
कोशिका में प्रोटीन संश्लेषण (Protein Synthesis) में अंतःद्रव्यी जालिका (Endoplasmic Reticulum) और राइबोसोम (Ribosome) की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। एक अंतःद्रव्यी जालिका की कला से राइबोसोम लगे रहते हैं तथा ये राइबोसोम प्रोटीन संश्लेषण के निर्माण स्थल होते हैं। राइबोसोम को प्रोटीन की फैक्ट्री भी कहा जाता है।
माइटोकॉन्ड्रिया जीवाणु एवं नील हरित शैवाल को छोड़कर शेष सभी सजीव एवं जंतु कोशिकाओं के कोशिका द्रव्य में बिखरे हुए कलायुक्त कोशिकांग है ! श्वसन की क्रिया प्रत्येक जीवित कोशिका के कोशिकाद्रव्य एवं माइटोकॉन्ड्रिया में संपन्न होती है। श्वसन से संबंधित प्रारंभिक क्रियाएं कोशिका द्रव्य में तथा शेष क्रियाएं माइटोकॉन्ड्रिया में होती हैं। चूंकि क्रिया के अंतिम चरण में ही अधिकांश ऊर्जा उत्पन्न होती है इसलिए माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का श्वसनांग या पॉवर हाउस कहा जाता है।
कोशिकीय श्वसन में अधिकतम ATP(एडिनोसीन ट्राई फॉस्फेट) अणुओं को उत्पन्न करने वाला पद क्रेन्स चक्र (Krebs Cycle) है। यह चक्र कोशिका के माइटोकॉन्ड्रिया में संपन्न होता है। इस चक्र की खोज हैन्स क्रैन्स ने वर्ष 1937 में की थी। Cell Ka Samanya Parichay
गॉल्जीबॉडी को गॉल्जी कॉम्प्लेक्स या गॉल्जी उपकरण के नाम से भी जाना जाता है। इसका सर्वप्रथम अन्वेषण कैमिलोगॉल्जी (Camillo Galgi) ने 1898 ई. में किया था। इसके क्रियात्मक इकाई को सिस्टर्नी (Cisternae) कहते हैं।
लाइसोसोम को कोशिका की आत्मघाती थैली (सुसाइडल बैग) कहते हैं। इसमें बहुत से जल-अपघटनीय एंजाइम पाए जाते हैं, जो अम्लीय माध्यम में कार्य करते हैं। ये एंजाइम लाइसोसोम की कला के फट जाने पर बाहर आ जाते हैं तथा कोशिका के सभी घटकों को जल अपघटन क्रिया द्वारा पचा डालते हैं।
केंद्रक की खोज सर्वप्रथम रॉबर्ट ब्राउन (Robert Brown) ने वर्ष 1931 में की थी। एक कोशिका में प्रायः एक केंद्रक होता है, किंतु कुछ पौधों (वाउचेरिया एवं क्लेडोफोरा) की कोशिकाओं में एक से अधिक केंद्रक पाए जाते हैं। इसमें आनुवंशिक पदार्थ (DNA) पाए जाने के कारण इसका प्रमुख कार्य जीवों के पैतृक लक्षणों को संतान में भेजना है।
DNA की खोज फ्रिडरिक मिशर (1869) ने की थी तथा DNA का ‘डबल हेलिक्स मॉडल’ जेम्स वाटसन तथा फ्रांसिस क्रिक ने दिया। DNA एक आनुवंशिक पदार्थ होता है तथा जीवों के लक्षणों की संकेत सूचनाओं को जन्मपत्री की भांति जनकों से संतानों में ले जाता है। यह नाभिक (Nucleus) के अलावा माइटोकॉन्ड्रिया तथा हरित लवक कोशिकांग में भी पाया जाता है। Cell Ka Samanya Parichay
मनुष्य एकलिंगी प्राणी (Unisexual Animal) है जिसमें गुणसूत्रों की कुल संख्या 23 जोड़ी (46) पाई जाती है। पुरुषों में 44+XY,जबकि स्त्रियों में 44+XX गुणसूत्र होते हैं। पुरुष तथा स्त्री में 22 जोड़े (44) गुणसूत्र ऑटोसोम्स होते हैं, जबकि 23वां जोड़ा गुणसूत्र पुरुष में XY तथा महिला में xx होता है जिन्हें लिंग गुणसूत्र कहते हैं। जनक से जिस संतान को XY गुणसूत्र मिलते हैं वह पुत्र बनता है और जिसे XX गुणसूत्र मिलते हैं वह पुत्री। ।
प्रक्रमित कोशिका मृत्यु (Programmed Cell Death) में कोशिकीय और आणविक नियंत्रण (Cellular and Molecular Control) को एपॉप्टॉसिस (Apoptosis) कहते हैं। यह भ्रूणीय विकास (Embryonic Development) तथा अंगों के प्रतिविकास (Involution) के समय होता है। Cell Ka Samanya Parichay
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