Vardhman Mahavira Jain Biography important topic

               Vardhman Mahavira Jain Biography

जीवन परिचय – महावीर जैन धर्म के संस्थापक नहीं थे! बल्कि इस धर्म के चौबीसवें व अन्तिम तीर्थंकर थे। महावीर ने जैन धर्म में न !अपेक्षित सुधार करके इसका व्यापक स्तर पर प्रचार किया।

महावीर स्वामी का जन्म 599 ई. पू. में वैशाली के समीप कण्डग्राम में क्षत्रिय परिवार में हुआ था। महावीर के पिता का नाम सिद्धार्थ था जो कुण्डग्राम के राजा थे। राजपरिवार में उत्पन्न होने के कारण वर्धमान का प्रारम्भिक जीवन सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण व्यतीत हुआ। युवावस्था प्राप्त होने पर वर्धमान का विवाह यशोदा नामक एक राजकुमारी से हुआ, जिससे उन्हें एक पुत्री प्रियदर्शिनी की प्राप्ति हुई। वर्धमान श्री महावीर स्वानी बचपन से ही चिन्तनशील एवं गम्भीर स्वभाव     Vardhman Mahavira Jain Biography

जैन धर्म के 24 तीर्थंकर निम्नलिखित थे :

  1. ऋषभदेव, 2. अजितनाथ, 3. सम्भवनाथ,4. अभिनन्दन, 5. सुमतिनाथ, 6. पद्मप्रभु, 7. सुपार्श्वनाथ, 8. चन्द्रप्रभा, 9. सुविधि,10. शीतलनाथ,11. श्रेयांसनाथ, 12. वासुपूज्य, 13. विमलनाथ,14: अनन्तनाथ,15.धर्मनाथ, 16. शान्तिनाथ,17. कुन्थनाथ,18. अरनाथ,19. मल्लिनाथ,20. मुनि सुव्रतनाथ, 21. नेमिनाथ, 22. अरिष्टनेमि, 23. पार्श्वनाथ,24. वर्धमान महावीर।

     Vardhman Mahavira Jain Biography
    Vardhman Mahavira Jain Biography

के थे। पिता की मृत्यु के समय वर्धमान 30 वर्ष के थे!उन्होंने तभी संन्यास धारण कर लिया तथा ज्ञान प्राप्ति के लिए तपस्या करने लगे। बारह वर्ष की घोर व कठिन तपस्या के पश्चात् जम्भियगास के समीप ऋजुपालिक नदी के तट पर शाल वृक्ष के नीचे उन्हें ‘कैवल्य ज्ञात’ (सर्वोच्च ज्ञान) की प्राप्ति हुई। इसी कारण वर्धमान को ‘केवलिन’ भी कहा जाता है।   Vardhman Mahavira Jain Biography

धर्म-प्रचार—ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात् महावीर स्वामी ने अपने धर्म का प्रचार किया। महावीर को 42 वर्ष की अवस्था में ज्ञान प्राप्त हुआ था। उन्होंने अपने जीवन के अन्तिम 30 वर्ष धर्म प्रचार में ही व्यतीत किए।

महावीर ने अनेक राज्यों में स्वयं जाकर जैन धर्म का प्रचार किया। महावीर स्वामी ने काशी, अंग, मगध, मिथिला व कोशल, आदि राज्यों में घूम-घूम कर अपने धर्म का प्रचार किया। जैन धर्म के प्रचार हेतु महावीर ने पावापुरी में जैन संघ की भी स्थापना की थी। महावीर है के उपदेश काल की सबसे महत्वपूर्ण घटना उनका घोषाल के साथ सम्पर्क व जैन धर्म के लिए। उसके परिणाम हैं। महावीर स्वामी व घोषाल की प्रथम भेट नालन्दा में हुई थी, तथा वर्षों तक दोनों ने जैन धर्म का प्रचार किया। बाद में घोषाल व महावीर स्वामी में मतभेद हो गए थे, तथा दोनों एक-दूसरे के आलोचक हो गए।

महावीर स्वामी की मृत्यु ई. पू: 527 में 72 वर्ष की आयु में पटना के निकट पावा ग्राम में हुई। वर्तमान समय में पावा का दूसरा नाम पोखरपुर है और यह स्थान बिहारशरीफ स्टेशन से 9.6 किमी की दूरी पर स्थित है।   

Vardhman Mahavira Jain Biography

 

Read more:-  Mahatma Buddha Biography

Leave a Comment