CHANDRAGUPTA Maurya Biography 322 BC-298 BC important notes

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CHANDRAGUPTA Maurya Biography चन्द्रगुप्त मौर्य (322 ई. पू.-298 ई. पू.) 

प्रारम्भिक जीवन – दुर्भाग्य का विषय है कि चन्द्रगुप्त जैसे महान शासक के प्रारम्भिक जीवन के विषय में जानने के लिए. ऐतिहासिक एवं प्रामाणिक स्रोतों का अभाव है। उपलब्ध स्रोतों में भी इस सम्बन्ध में किए गए वर्णनों में परस्पर बहुत अन्तर है। विभिन्न स्रोतों में चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रारिम्भक जीवन का वृत्तान्त निम्नलिखित रूप में मिलता है :

(अ) ब्राह्मण-साहित्य – ब्राह्मण-साहित्य के अन्तर्गत आने वाले विभिन्न ग्रन्थों में चन्द्रगुप्त के विषय में भिन्न-भिन्न जानकारी उपलब्ध होती है, परन्तु अधिकांश ग्रन्थों में उसको नन्दवंशीय अथवा नन्द राजा की शूद्र पली से उत्पन्न हुआ बताया गया है, किन्तु ब्राह्मण-साहित्य का इस सम्बन्ध में प्रामाणिक स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

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(ब) बौद्ध-साहित्य – बौद्ध-ग्रन्थ महावंश  टीका से चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रारम्भिक जीवन के विषय में अत्यन्त महत्वपूर्ण सामग्री उपलब्ध होती है। इस ग्रन्थ के अनुसार महात्मा बुद्ध के समय में कौशल नरेश विड‍‌भ के आक्रमण से त्रस्त होकर कुछ शाक्य व्यक्ति हिमालय में एक सुरक्षित स्थान पर बस गए थे। उस स्थान पर उन्होंने मोरिय नगर की स्थापना की तथा वहां रहने वाले मौर्य’ कहलाए। ‘चन्द्रगुप्त मोरिय नगर के राजा का पुत्र था। इस ग्रन्थ के अनुसार चन्द्रगुप्त जिस समय अपनी माता के गर्भ में था तब मोरिय नगर पर एक शक्तिशाली राजा ने आक्रमण कर मोरिय राजा को मार डाला।  CHANDRAGUPTA Maurya Biography

मोरिय रानी किसी प्रकार भागकर अपने भाइयों के पास पुष्पपुर (पाटलिपुत्र) पहुंची। पुष्पपुर में ही उसने एक बच्चे को जन्म दिया तथा उसे एक : मवेशीशाला के निकट फेंक दिया। वहां पर ‘चन्द्र’ नामक एक वृषभ ने उसकी रक्षा की जिससे उस बच्चे का नाम चन्द्रगुप्त (चन्द्र द्वारा रक्षित) पड़ा। कालान्तर में चन्द्रगुप्त व चाणक्य के सम्मिलित प्रयासों से नन्द-वंश का उन्मूलन हुआ व मौर्य-वंश की स्थापना कर चन्द्रगुप्त मगध का शासक बना। 

(स) जैन-साहित्य – जैन-ग्रन्थ परिशिष्टपर्वम् से भी चन्द्रगुप्त के प्रारम्भिक जीवन पर प्रकाश पड़ता है। हेमचन्द्र कृत इस ग्रन्थ के अनुसार चन्द्रगुप्त मयूर-पोषकों के सरदार का पुत्र था। अपने गांव के बालकों के साथ वह राजक्रीड़ा किया करता था। एक बार जब वह इसी खेल में संलग्न था, तो चाणक्य ने उसे देखा। चाणक्य चन्द्रगुप्त से अत्यधिक प्रभावित हुआ व उसे अपने साथ ले गया।

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(द) यूनानी वृत्तान्त – यूनानी वृत्तान्तों में चन्द्रगुप्त के प्रारम्भिक जीवन का उल्लेख नहीं मिलता, केवल जस्टिन ने लिखा है कि चन्द्रगुप्त साधारणस्थिति (Humble Origin) में उत्पन्न हुआ था।

चन्द्रगुप्त के सिंहासनारोहण की तिथि – चन्द्रगुप्त राजसिंहासन पर कब आसीन हुआ, इस विषय में – विद्वानों में बहुत मतभेद है। किन्तु चन्द्रगुप्त मौर्य का सिंहासनारोहण 322 ई में हुआ, यही मानना सर्वाधिक तर्कसंगत प्रतीत होता है, क्योंकि वैदेशिक, भारतीय ग्रन्थ व बौद्धशिलालेखों सभी से एक ही निष्कर्ष निकलता है,जो 322 ई. पू. की ओर संकेत करता है। 

 

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