Table of Contents
प्राचीन भारतीय इतिहास के स्त्रोत
Sources of Ancient Indian History
इतिहास शब्द का अर्थ “ऐसा निश्चित हुआ है | इसके अध्ययन से हम किसी राष्ट्र की संस्कृति व सभ्यता तथा अतीत को जान सकते है | एक ग्रीक(यूनानी) इतिहासकार हेरोडोटस, जिनका जन्म 5वीं शताब्दी ईसा. पूर्व. फारसी साम्राज्य हेलिकर्नासस (वर्तमान- बोडरम, तुर्की) में हुआ था | हेरोडोटस ने अपने ग्रंथ को हिस्टोरिका के नाम से लिखा था | हेरोडोटस विश्व का पहला इंसान था, जिसने वास्तविक इतिहास के लेखन की नींव डाली | उसने स्वयं व्यक्तिगत रूप से इतिहास की सामग्रियों का संकलन किया, उसकी सत्यता की जांच की और उनको जीवंत लेखन के रूप में ढाला। इसी कारण रोमन दार्शनिक मारकस तुलियस सिसरो ने हेरोडोटस को इतिहास का पिता / इतिहास का जनक कहा |
उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में हिन्द महासागर तक फैला यह महाद्वीप भारतवर्ष के नाम से जाना जाता है, जिसे पुराणों में “भारतवर्ष” अर्थात भारत का देश तथा यहाँ के निवासियों को भरत की संतान कहा जाता है | यूनानियो ने भारत को इंडिया तथा मुस्लिम इतिहासकारों ने हिन्द या हिंदुस्तान के नाम से संबोधित किया |
Sources of Ancient Indian History
ईसा पूर्व एवं ईसवी
वर्तमान में प्रचलित ग्रेगोरियन कैलेंडर (ईसाई /जुलियन कैलेंडर) ईसाई मसीह के जन्म पर आधारित है | ईसा मसीह के जन्म के पूर्व के समय को ईसा पूर्व (B.C. – Before the birth of Jesus Christ) कहा जाता है | ईसा पूर्व में वर्षो की गिनती उलटी होती है | ईसा मसीह की जन्म तिथि से आरम्भ हुआ सन ईसवी सन (A.D. – Anno Domini) कहलाता है |
भारत के इतिहास को अध्ययन की सुविधा से तीन भागों में बांटा गया है-
- प्रागैतिहासिक काल :- वह काल जिसके लिए कोई लिखित साधन उपलब्ध नहीं है और जिसमे मनुष्य का जीवन अपेक्षाकृत सभ्य नहीं था इसलिए प्रागेतिहसिक काल का इतिहास लिखते समय पुरातात्विक साक्ष्यो पर निर्भर रहना पड़ता है | हडप्पा सभ्यता से पूर्व का काल इसी श्रेणी में आता है |
- आद्य-इतिहासिक काल:- भारतीय इतिहास का वह काल जिसमे लिखित साक्ष्य तो उपलब्ध है परन्तु उन्हें अभी तक पढ़ा नही जा सका | इस समय के इतिहास लेखन में पुरातात्विक और साहित्यिक दोनों प्रकार के साधनों का उपयोग करना पड़ता है | हडप्पा सभ्यता इसी काल के अंतर्गत आती है |
- ऐतिहासिक काल:- भारतीय इतिहास का वह काल जिसके लिखित साक्ष्य उपलब्ध है तथा जिनके अध्ययन से हमे अतीत का ज्ञान हुआ है | ऐतिहासिक काल के लेखन में हमे पुरातात्विक, साहित्यिक तथा विदेशी लेखको के वर्णनों की भी आवश्यकता पड़ती है | लगभग 600 ईशा पूर्व के बाद का काल ऐतिहासिक काल कहलाता है |
Sources of Ancient Indian History
ऐतिहासिक स्त्रोतों का वर्गीकरण (Classification of Historical sources)
पुरातात्विक स्त्रोत –
- उपकरण
- मृदभांड
- कलाकृतियाँ
- भवन
- मुद्रा
- अभिलेख
भारतीय पुरातत्व का जनक अलेक्जेंडर कनिंघम को कहा जाता है |
साहित्यिक स्त्रोत –
(1) देशी साहित्य –
(a) धार्मिक साहित्य –
- वेद
- पुराण
- उपनिषद
- वेदांग
- महाकाव्य
- स्मृति
- आरण्यक
- ब्राह्मण ग्रन्थ
- बौद्ध साहित्य
- जैन साहित्य आदि |
(b) धर्मेत्तर साहित्य –
- कोटिल्य का अर्थशास्त्र
- कल्हण की राजतरंगिणी
- पाणिनी की अष्टाध्य्ययी
- विशाखदत्त की मुद्राराक्षस
- कालिदास का अभिज्ञानशाकुन्तल, मेघदुतम,
- अन्य वैज्ञानिक एवं खगोल साहित्य, जीवन चरित आदि |
(2) विदेशी साहित्य –
- ग्रीक व रोमन स्त्रोत
- सिहली (श्री लंका) स्त्रोत
- चीनी स्त्रोत
- तिब्बती स्त्रोत
- अरबी स्त्रोत
Sources of Ancient Indian History
भारत का प्रागैतिहासिक काल
मनुष्य के उद्भव का अनुमानित समय 10 से 14 मिलियन ईसा पूर्व बताया जाता है | सबसे पुराने मनुष्य का जो अवशेष अफ्रीका से प्राप्त हुआ है, वह 4.2 मिलियन ई . पू. का है | आज से लगभग तीस से चालीस हजार वर्ष पूर्व होमोसेपियंस (ज्ञानी मानव) का प्रवेश हुआ जिनकी जीविका का मुख्य आधार शिकार करना था | शिकार करने के लिए ये पत्थर के खुरदुरे औजारों का उपयोग करते थे |
प्रागैतिहासिक काल को तीन भागों में विभक्त किया जाता है :-
- पूरापाषाण काल (Palaeolithic age)
- मध्यपाषाण काल (Mesolithic age)
- नवपाषाण काल (Neolithic age)
- पूरापाषाण काल –
यह काल 5 लाख से 10000 ई. पू . तक का माना जाता है | इस युग में मनुष्य शिकार पर आधारित था | भोजन के लिए फलो व कच्चे मांस पर निर्भर होते था | पहाड़ो की गुफाओ और पेड़ की टहनियों पर निवास करते था |
मध्यप्रदेश के भीमबेटका से पूरापाषाणकालीन गुफा चित्र के अवशेष प्राप्त हुए है | उच्च पूरापाषाण काल के दौरान मनुष्य ने अधिक चटकीले लाल व हरे रंगों का प्रयोग सिख लिया था | पूरापाषाण काल को तीन भागों में विभाजित किया गया है
(I) निम्न पूरापाषाण काल (5 लाख – 50 हजार ई. पू.)
(II) मध्य पूरापाषाण काल (50 हजार – 40 हजार ई . पू .)
(III) उच्च पूरापाषाण काल (40 हजार – 10 हजार ई. पू.)
(I) निम्न पूरापाषाण काल – पूरापाषाण काल का सबसे लम्बा समय निम्न पूरापाषाण काल का है | पत्थरों से निर्मित हस्तकुठार, विदाराणी, खंडक औजारों का उपयोग किया जाता था | इस काल के उपकरण रोबर्ट ब्रूस फुट ने मद्रास के पास स्थित पल्लवरम नामक स्थल से खोजा था |
(II) मध्य पूरापाषाण काल – इस काल में मानव जीवन अस्थिर था, लेकिन इस काल के उपकरण पहले की सुंदर, छोटे व पैने थे | प्रमुख उपकरण – फलक, बेदनी, छेदनी व खुरचनी आदि |
(III) उच्च पूरापाषाण काल – उच्च पूरापाषाण काल आधुनिक मानव अर्थात होमोसेपियंस के अस्तित्व का युग है | इस समय मानव उपकरणों के निर्माण में हडडी, हाथीदांत एवं सींगो का प्रयोग करने लगा था | इस काल का मानव रहने के लिए शैलाश्रयों का प्रयोग करने लगा था | भीमबेटका की गुफाये इसी काल में प्राप्त हुई |
Sources of Ancient Indian History
- मध्यपाषाण काल –
भारत में मध्यपाषाण काल का समय 10000 ई. पू. से 4000 ई. पू. के बीच निर्धारित किया गया है | इस समय पॉलिशदार औजारों का उपयोग किया जाने लगा था | सर्वप्रथम तीर कमान का प्रयोग इसी काल में हुआ | आदमगढ़ से प्राप्त गुफाचित्र एवं भित्तिचित्र से मध्यपाषाणकालीन संस्कृति का पता चलता है | इन चित्रों में विभिन्न पशुओ को दर्शाया गया है जिससे मनुष्य तथा पशुओ के बीच सबंधो की जानकारी मिलती है | गहर्रे लाल हरे व पीले रंगों से परिचित थे | इसी काल में अग्नि की खोज हुई | मध्यपाषाण काल के मनुष्य ने अनुष्ठान के साथ शवों को दफनाने की प्रथा प्रारंभ की |
मध्यपाषाणकालीन संस्कृति के बारे में प्रथम जानकारी 1867 ई. में कार्लाइल द्वारा दी गयी | उसने विन्ध्य श्रंखला में उत्खनन के बाद मध्यपाषाण काल के अवशेषों का अध्ययन किया |
मध्यपाषाण काल को सूक्ष्मपाषाण काल (Microlithic age) भी कहा जाता है | बागौर (राजस्थान) एवं आदमगढ़ (मध्यप्रदेश) से इस काल के पशुपालन के प्राचीनतम साक्ष्य प्राप्त होते है | इस काल के मनुष्य भोजन के लिए शिकार, मछली पकड़ने तथा खाद्य संग्रहण पर निर्भर करते थे |
- नवपाषाण काल –
10000 ई. पू. से ऐतिहासिक काल तक के पाषाण काल को नवपाषाण काल कहते है | पुरातत्वविद मिल्स बुरकिट ने नवपाषाण काल की निम्नलिखित विशिष्टताओ का विवरण दिया है |
- पशुओ को पालतू (पहला पालतू पशु – कुत्ता) बनाना |
- कृषि व्यवहार का प्रथम प्रयोग |
- घिसे हुए तथा पॉलिशदार पत्थर के औजार |
- मृदभंदो का निर्माण|
उत्तरप्रदेश के कोल्डीहवा में उत्खनन से नवपाषाण काल में प्रयुक्त औजारों तथा चावल की कृषि की जानकारी मिलती है | नवपाषाणकालीन की प्राचीनतम बस्ती का साक्ष्य पाकिस्तान में स्थित बलुचिस्थान प्रान्त में मेहरगढ़ में है | मेहरगढ़ में ही 7000 ई. पू. के कृषि के प्रथम एवं प्राचीनतम साक्ष्य मिले है | मेहरगढ़ के लोग मिटटी तथा कच्ची ईटों से बने गोलाकार व आयताकार घरो में रहते थे | ये गेहू, जौ और रुई की खेती करते थे | इसी समय वस्त्र निर्माण का साक्ष्य भी मिला है | पहिये का अविष्कार भी नवपाषाण काल में हुआ |
नवपाषाण काल के बाद ताम्रपाषाण काल की शुरुआत मानी जाती है | इस काल में मानव ने पत्थर और ताम्बे से निर्मित औजारों का साथ साथ इस्तेमाल किया | इस काल के लोग ग्रामीण समुदाय बनाकर रहते थे और देश के विशाल भागो में फैले थे जहां पहाड़ी जमीन और नदियाँ थी | राजस्थान में स्थित आहड़ और गिलुण्ड सभ्यता ताम्रपाषाण काल के महत्वपूर्ण उदहारण है | मनुष्य ने सर्वप्रथम तांबा धातु का प्रयोग किया तथा उसके द्वारा बनाया जाने वाला प्रथम औजार कुल्हाड़ी(प्राप्ति स्थल – अतिरम्पक्कम) था |
RELATED QUIZ
- भारतीय पुरातत्व का जनक किसे कहा जाता है ?
(अ) जॉन मार्शल (ब) जेम्स प्रिन्सेप
(स) मार्टिन लूथर (द) अलेक्जेंडर कनिंघम
- कृषि के प्रथम प्राचीनतम साक्ष्य कहा से मिले थे ?
(अ) कोल्डीहावा (ब) मेहरगढ़
(स) आहड़ (द) कालीबंगा
- पहिये का आविष्कार किस काल में हुआ ?
(अ) पूरापाषाण काल (ब) नवपाषाण काल
(स) मध्यपाषाण काल (द) उच्च पूरापाषाण काल
- मनुष्य ने सर्वप्रथम किस पशु को पालतू बनाया ?
(अ) गाय (ब) कुत्ता
(स) बकरी (द) घोडा
Sources of Ancient Indian History
- उत्तरप्रदेश के किस स्थान से चावल की कृषि के साक्ष्य मिले थे ?
(अ) आदमगढ़ (ब) अलीगढ
(स) जौनपुर (द) कोल्डीहावा
- इतिहास का पिता किसे कहा जाता है ?
(अ) रोबर्ट ब्रूस फुट (ब) अरस्तु
(स) अलेक्जेंडर कनिंघम (द) हेरोडोटस
- सबसे पुराने मनुष्य का अवशेष कहा से प्राप्त हुआ था ?
(अ) अफ्रीका (ब) भारत
(स) रूस (द) आस्ट्रेलिया
- मध्यप्रदेश की भीमबेटका गुफाये किसके लिए प्रसिद्ध है ?
(अ) मूर्ति (ब) शिला चित्रकारी
(स) मंदिर (द) मृदभांड
Sources of Ancient Indian History
- मध्यपाषाणकालीन संस्कृति के बारे में प्रथम जानकारी किसने दी ?
(अ) जेम्स प्रिन्सेप (ब) अलेक्जेंडर कनिंघम
(स) कार्लाइल (द) रोबर्ट ब्रूस फुट
- मृदभंदो का निर्माण किस काल में हुआ ?
(अ) पूरापाषाण काल (ब) मध्यपाषाण काल
(स) नवपाषाण काल (द) निम्न पूरापाषाण काल
1-द 2-ब 3-ब 4-ब 5-द 6-द 7-अ 8-ब 9-स 10-स
RELATED POST:- Gupt Kaal Ke Pramukh Shasak Important Topic 2022